Sangeetika Sangeet Mahavidyalaya Sehore
संगीत में शैक्षणिक उत्कृष्टता

संगीतिका संगीत महाविद्यालय, सीहोर में शिक्षा केवल विषय-ज्ञान नहीं, बल्कि गुरुकुल परंपरा पर आधारित एक आत्मीय वातावरण है, जहाँ छात्र और गुरु साथ बैठकर संगीत का अभ्यास, मनन और समझदारी से अध्ययन करते हैं। यहाँ Vocal, Tabla और Classical Dance की विश्वविद्यालय मान्यता प्राप्त शिक्षा के साथ-साथ मंचीय अनुभव, परीक्षा-तैयारी और इंटरव्यू मार्गदर्शन भी परिवार-जैसे माहौल में दिया जाता है। अधिक जानकारी के लिए हमारे पाठ्यक्रम पृष्ठ या संपर्क पृष्ठ पर जाएँ।

गुरु पूर्णिमा पर संगीतिका संगीत महाविद्यालय में श्रद्धा, संगीत और सम्मान का अद्वितीय संगम.

गुरु पूर्णिमा पर संगीतिका संगीत महाविद्यालय में श्रद्धा, संगीत और सम्मान का अद्वितीय संगम.

दिनांक: 10 जुलाई 2025स्थान: संगीतिका संगीत महाविद्यालय, सिंधी कॉलोनी सीहोर   गुरु पूर्णिमा का पर्व भारत की गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक...
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Vocal music training at Sangeetika Sangeet Mahavidyalaya Sehore

गायन

शास्त्रीय गायन आत्मा की अभिव्यक्ति है, जो रागों की लयबद्ध छाया में ईश्वर से संवाद करता है। यह केवल स्वर नहीं, भावों की अनन्त यात्रा है जो साधक को साधना में विलीन कर देती है। हर आलाप एक ध्यान है, हर तान एक तपस्या – जहाँ सुरों की तरंगें अंतरात्मा को छू जाती हैं। गायन वह साधना है, जहाँ शांति, भक्ति और अनुभूति एक स्वर बनकर गूंजते हैं।

Kathak dance training at Sangeetika Sangeet Mahavidyalaya Sehore

कत्थक

कत्थक नृत्य, एक कथा कहने की कला है, जहां हर घुंघरू की झंकार में भावों की गूंज होती है। नेत्रों की भाषा और मुद्राओं की गहराई से आत्मा संवाद करती है। ताली और खली की लय में समय का संधान होता है, जहां रचनात्मकता और अनुशासन का संगम दिखता है। यह केवल नृत्य नहीं, बल्कि एक साधना है, जो राधा-कृष्ण की भक्ति से जन्म लेकर आत्मा तक पहुँचती है।

Tabla training classes at Sangeetika Sangeet Mahavidyalaya Sehore

तबला

तबला शास्त्रीय संगीत की आत्मा है, जो लय की गहराई को जीवंत करता है। इसकी हर थाप में छिपा है भावों का संपूर्ण संवाद। ना-धा-धिन से उठती तरंगें मन और मस्तिष्क को छू जाती हैं। तबला केवल वाद्य नहीं, साधक की साधना का साक्षात रूप है।

हमारे बारे में

संगीतिका संगीत महाविद्यालय, सीहोर — Vocal, Tabla & Dance Music College

संस्थान का परिचय

स्थापना एवं प्रारंभिक यात्रा (1980)

संगीतिका संगीत महाविद्यालय, सीहोर की स्थापना वर्ष 1980 में स्वर्गीय पंडित श्री वासुदेव प्रसाद मिश्रा जी द्वारा की गई थी।
यह संस्थान आरंभ से ही शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा देने हेतु समर्पित रहा है।

विश्वविद्यालय संबद्धता (Khairagarh & RMTU Gwalior)

वर्ष 1990 में महाविद्यालय को खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त हुई, जिससे संस्था को विधिक व संस्थागत स्वरूप मिला।
बाद में, 2009 के बाद यह महाविद्यालय राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर से संबद्ध है।
इस दौरान हजारों छात्र सरकारी नौकरियों व स्वतंत्र संगीत करियर में सफल हुए हैं।

मुख्य पाठ्यक्रम एवं वाद्य प्रशिक्षण

महाविद्यालय में मुख्य रूप से गायन, तबला और कथक नृत्य की प्रशिक्षण प्रदान की जाती है।
साथ ही हारमोनियम, गिटार और अन्य शास्त्रीय व पाश्चात्य वाद्ययंत्रों का अभ्यास भी उपलब्ध है।
हमारी शिक्षा प्रणाली गुरुकुल पर आधारित है — गुरु और शिष्य के बीच प्रत्यक्ष संवाद को महत्व दिया जाता है।

गुरुजन एवं मार्गदर्शन

संस्था के प्रमुख गुरु श्री मांगीलाल ठाकुर जी के मार्गदर्शन में छात्रों को न केवल तकनीकी शिक्षा, बल्कि प्रतियोगिता, ऑडिशन, करियर एवं स्वरोजगार के लिए भी परामर्श प्रदान किया जाता है।

उद्देश्य एवं सामाजिक योगदान

हमारा उद्देश्य केवल संगीत सिखाना नहीं, बल्कि संस्कारयुक्त और समर्पित संगीत साधक तैयार करना है।
आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए निःशुल्क शिक्षा योजनाएँ भी संचालित होती हैं।

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