संगीत पाठ्यक्रम

प्रवेशिका सर्टिफिकेट इन परफॉर्मिंग आर्ट
यह एक दो वर्षीय प्रमाणन पाठ्यक्रम (Certification Course) है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा 4 उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
इस कोर्स में तीन प्रमुख विषयों — तबला, गायन, और नृत्य — में से किसी एक को चुना जा सकता है। विद्यार्थी अपनी सुविधा के अनुसार इस पाठ्यक्रम को नियमित (Regular) या स्वयं-अध्ययन (Private) माध्यम से पूर्ण कर सकते हैं।
मार्गदर्शन एवं प्रवेश
विद्यार्थियों की रुचि के अनुसार उपयुक्त विषय (गायन, तबला या नृत्य) के चयन में सहयोग प्रदान किया जाता है। प्रवेश प्रक्रिया सरल एवं मार्गदर्शक सहयोग से पूर्ण होती है। पूर्व संगीत ज्ञान आवश्यक नहीं है।
मूलभूत प्रशिक्षण
प्रत्येक विद्यार्थी को अनुभवी गुरुओं के निर्देशन में सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक दोनों रूपों में व्यवस्थित प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
प्रदर्शन एवं प्रगति मूल्यांकन
नियमित मूल्यांकन एवं मंच प्रदर्शन के माध्यम से विद्यार्थियों को आत्मविश्वास, कला में निपुणता एवं प्रगति का अवसर मिलता है।
प्रमाणपत्र एवं भविष्य की दिशा
पाठ्यक्रम पूर्ण करने के उपरांत विद्यार्थियों को मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है, जिससे वे डिप्लोमा, स्नातक या उच्चतर संगीत पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं।
मध्यमा डिप्लोमा इन परफॉर्मिंग आर्ट (M.D.P.A.)
यह कोर्स प्रवेशिका (Certificate) के बाद अगला स्तर है, जो दो वर्षों में पूर्ण किया जाने वाला एक मान्यता प्राप्त डिप्लोमा पाठ्यक्रम है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई में ले जाकर उन्हें एक सशक्त कलाकार के रूप में विकसित करना है।
इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 6 उत्तीर्ण) निर्धारित की गई है।
इस कोर्स में तीन प्रमुख विषयों — तबला, गायन, और नृत्य — में से किसी एक को चुना जा सकता है। विद्यार्थी अपनी सुविधा के अनुसार इस पाठ्यक्रम को नियमित (Regular) या स्वयं-अध्ययन (Private) माध्यम से पूर्ण कर सकते हैं।
🔗 विस्तृत पाठ्यक्रम देखने हेतु विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाएं:
👉 M.D.P.A. सिलेबस PDF लिंक
🎯 मार्गदर्शन एवं प्रवेश
विद्यार्थियों को उनकी रुचि एवं क्षमता के अनुसार उपयुक्त विषय — गायन (Vocal), वाद्य (जैसे तबला), या नृत्य (Classical Dance) — के चयन में मार्गदर्शन दिया जाता है। प्रवेश प्रक्रिया सरल है और इसमें अनुभवी शिक्षकों का पूर्ण सहयोग उपलब्ध कराया जाता है। इस स्तर पर प्रवेशिका या समकक्ष संगीत ज्ञान होना आवश्यक है।
📚 सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण
इस पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों को संगीत की गहरी समझ के लिए उच्च स्तर का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण अनुभवी और पारंपरिक शैली से प्रशिक्षित गुरुओं के निर्देशन में दिया जाता है, जिससे विद्यार्थी राग, ताल, प्रस्तुति कौशल एवं मंच अनुशासन में दक्ष हो सकें।
🌟 प्रदर्शन एवं प्रगति मूल्यांकन
रचनात्मक प्रस्तुति,नियमित अभ्यास,और निरंतर मूल्यांकन प्रणाली के द्वारा विद्यार्थियों की व्यक्तिगत प्रगति सुनिश्चित की जाती है। इसके अंतर्गत रागों की प्रस्तुति, ताल का प्रयोग, वायवा, एवं संगीत की सैद्धांतिक परीक्षा आयोजित की जाती है।
🏆 प्रमाणपत्र एवं भविष्य की दिशा
M.D.P.A. पूर्ण करने के बाद विद्यार्थियों को राज्य संगीत विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त डिप्लोमा प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है, जो उन्हें आगे उच्चतर डिप्लोमा (VID), स्नातक (B.P.A. in Music), अथवा अन्य पेशेवर संगीत पाठ्यक्रमों में प्रवेश की पात्रता देता है।


विद डिप्लोमा इन परफॉर्मिंग आर्ट (V.D.P.A.)
यह कोर्स मध्यमा डिप्लोमा (M.D.P.A.) के उपरांत अगला स्तर है, जो दो वर्षों में पूर्ण किया जाने वाला एक मान्यता प्राप्त उच्चतर डिप्लोमा पाठ्यक्रम है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की जटिलताओं, विविध शैलियों और प्रस्तुति कौशल में पारंगत बनाना है।
इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा 6 उत्तीर्ण एवं M.D.P.A. डिप्लोमा उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
इस कोर्स में भी तीन प्रमुख विषय — तबला, गायन, और नृत्य — में से किसी एक का चयन किया जा सकता है। विद्यार्थी इसे नियमित (Regular) अथवा स्वयं-अध्ययन (Private) माध्यम से पूर्ण कर सकते हैं।
🔗 विस्तृत पाठ्यक्रम देखने हेतु विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाएं:
👉 V.D.P.A. सिलेबस PDF लिंक
🎯 मार्गदर्शन एवं प्रवेश
विद्यार्थियों को उनकी रुचि, क्षमता, एवं संगीतगत पृष्ठभूमि के आधार पर उपयुक्त विषय चयन में मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है। प्रवेश की प्रक्रिया सुगम है तथा इसमें अनुभवी एवं समर्पित संगीत आचार्यों द्वारा पूर्ण सहयोग दिया जाता है।
📚 सैद्धांतिक, व्यावहारिक एवं प्रदर्शनात्मक प्रशिक्षण
Vid पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों कोराग, ताल, बंदिश, धुनों की उन्नत समझ,मंच प्रस्तुति,स्वर, मुद्राएँ,शारीरिक भाव-भंगिमाएँ (Mudras),तथा उत्तर भारतीय एवं कर्नाटकी संगीत शैलियों की प्रारंभिक जानकारी दी जाती है।प्रशिक्षण अनुभवी गुरुओं द्वारा पारंपरिक एवं आधुनिक दोनों विधियों से कराया जाता है।
🧪 मूल्यांकन पद्धति
विद्यार्थियों का मूल्यांकन तीन प्रमुख आधारों पर किया जाता है:सैद्धांतिक परीक्षा (Theory)व्यावहारिक परीक्षा (Practical)प्रस्तुति/डिमॉन्स्ट्रेशन आधारित मूल्यांकन (Demonstration Test)प्रत्येक विद्यार्थी की व्यक्तिगत प्रगति पर निरंतर ध्यान दिया जाता है।
🏆 प्रमाणपत्र एवं भविष्य की दिशा
पाठ्यक्रम पूर्ण होने के उपरांत विद्यार्थियों को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर द्वारा मान्यता प्राप्त V.D.P.A. डिप्लोमा प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है। यह प्रमाणपत्र उन्हें आगेस्नातक स्तर (Bachelor in Performing Arts – B.P.A.),मास्टर डिग्री, अथवा अन्य उच्चस्तरीय संगीत पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु पात्र बनाता है।
🎓 बैचलर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (B.P.A.)
बैचलर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (B.P.A.) एक चार वर्षीय नियमित डिग्री पाठ्यक्रम है, जिसे शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उच्च शिक्षा एवं गहन प्रशिक्षण हेतु तैयार किया गया है। यह कोर्स विद्यार्थियों को न केवल संगीत की व्यावसायिक योग्यता प्रदान करता है, बल्कि उन्हें एक परिपक्व कलाकार एवं शिक्षक के रूप में भी विकसित करता है।
इस पाठ्यक्रम में गायन, तबला, कत्थक विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त की जा सकती है।
📌 प्रवेश योग्यताएं
इस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु विद्यार्थियों को कक्षा 12 उत्तीर्ण (किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से) होना आवश्यक है। यह कोर्स केवल नियमित (Regular) विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध है।
🔗 सिलेबस विवरण
पाठ्यक्रम का निर्माण राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर द्वारा निर्धारित सिलेबस के अनुसार किया गया है।
👉 B.P.A. सिलेबस PDF लिंक देखें
📚 शिक्षण प्रक्रिया एवं प्रशिक्षण
B.P.A. में विद्यार्थियों को सैद्धांतिक, व्यावहारिक एवं मंच प्रस्तुति आधारित सम्पूर्ण प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें शामिल हैं:राग एवं ताल का गहरा अध्ययनरचनात्मक गायन व वादन की तकनीकेंउत्तर भारतीय एवं कर्नाटकी संगीत के महत्वपूर्ण स्वरूपों की समझताल प्रणाली, आलाप, तन, लयकारी, बंदिशें, पद-अभ्यास, मुद्राएँ (नृत्य हेतु)मंच अनुशासन, प्रस्तुति कौशल एवं समूहिक कार्यक्रमों में भागीदारीप्रशिक्षण अनुभवी, विश्वविद्यालय से प्रमाणित गुरुओं के निर्देशन में कराया जाता है।
🧪 मूल्यांकन प्रणाली
विद्यार्थियों का मूल्यांकन निम्नलिखित तीन आधारों पर किया जाता है:सैद्धांतिक परीक्षा (Theory Test)व्यावहारिक परीक्षा (Practical Performance)प्रस्तुति एवं डिमॉन्स्ट्रेशन टेस्ट (Stage/Performance Evaluation)हर वर्ष के अंत में वार्षिक परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें विद्यार्थियों की समग्र प्रगति का आकलन किया जाता है।
🏅 प्रमाणपत्र एवं भविष्य की दिशा
पाठ्यक्रम पूर्ण होने के उपरांत विद्यार्थियों को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर द्वारा मान्यता प्राप्त स्नातक डिग्री प्रदान की जाती है। B.P.A. डिग्री धारक विद्यार्थी आगे:मास्टर्स (M.P.A.)नेट/पीएच.डी. जैसे अकादमिक शोध कोर्ससंगीत शिक्षक, कलाकार, निर्देशक अथवा स्वतंत्र प्रस्तुतकर्ता के रूप में अपना करियर बना सकते हैं।


🎓 मास्टर ऑफ आर्ट्स (M.A.) इन परफॉर्मिंग आर्ट्स
M.A. एक दो वर्षीय स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम है, जो शास्त्रीय संगीत में गहराई से अध्ययन, स्वतंत्र रचनात्मकता एवं विश्लेषणात्मक प्रस्तुति कौशल के विकास हेतु डिज़ाइन किया गया है। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को शोध, रचना, तथा जटिल प्रस्तुति तकनीकों में दक्ष बनाता है।
📌 प्रवेश योग्यताएं
इस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु विद्यार्थी का B.P.A. अथवा समकक्ष स्नातक संगीत डिग्री उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
यह कोर्स स्वयं-अध्ययन (Private) माध्यम से किया जा सकता है।
🔗 सिलेबस विवरण
M.A. पाठ्यक्रम का संचालन राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर द्वारा स्वीकृत सिलेबस के अनुसार किया जाता है।
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🎯 शिक्षण की विशेषताएं
इस पाठ्यक्रम में विद्यार्थी को पारंपरिक और नवाचारयुक्त दोनों दृष्टिकोणों से प्रशिक्षित किया जाता है, जहाँ उनके रचनात्मक दृष्टिकोण, प्रस्तुति की जटिलता, एवं भिन्नता को विशेष महत्व दिया जाता है।प्रशिक्षण में शामिल हैं:विशिष्ट रागों का नव प्रयोगगूढ़ ताल संरचनाओं में प्रदर्शनरचना की मौलिकता एवं प्रस्तुति शैली का विकासभाव, आलंकारिकता, गायक/वादक की व्यक्तिगत पहचान की खोजउत्तर भारतीय संगीत के साथ-साथ विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से कर्नाटकी संगीत का तुलनात्मक अध्ययन
🧪 मूल्यांकन प्रणाली
M.A. में मूल्यांकन पारंपरिक परीक्षा से हटकर एक कलात्मक प्रदर्शन-आधारित प्रणाली पर आधारित है:स्वतंत्र रचना एवं प्रस्तुति कौशल का मूल्यांकनजटिल राग एवं ताल में व्यक्तिगत प्रस्तुतियाँसैद्धांतिक विवेचन एवं व्याख्यात्मक परीक्षावायवा एवं शोध परियोजना (जहां लागू हो)विद्यार्थियों की संगीत में गहराई, प्रयोगशीलता एवं मौलिकता को प्रमुखता दी जाती है।
🏆 प्रमाणपत्र एवं भविष्य की दिशा
पाठ्यक्रम पूर्ण होने के उपरांत विद्यार्थियों को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर द्वारा मान्यता प्राप्त स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त होती है। यह डिग्री उन्हें आगे:पीएच.डी./नेट/शोध में प्रविष्टि,उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन,स्वतंत्र संगीत निर्देशन,या पेशेवर मंचीय कलाकार के रूप में स्थापित होने का अवसर प्रदान करती है।